मूर्ख बना गया ना,,,

यह लगातार तीसरा सप्ताह था जब अभ्युदय देर रात दो तीन बजे तक अपने कमरे में बंद, टेलीकॉन्फ़्रेन्स में व्यस्त रहा। यह कॉंट्रैक्ट अगर ना मिला तो आगे क्या होगा, इसका अंदाज़ा भी लगाने की अनुमति उसने स्वयं को नहीं दी थी। ‘अभी’ कि आदत है, फ़ोन पर टहलते हुए बात करने की, सम्भव है…